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वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनने की संभावना वाले चुनिंदा कार्यात्मक क्लस्टर/अवस्थानों में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना प्रदान करके घरेलू उद्योगों की औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में औद्योगिक अवसरंचना उन्नयन योजना (आईआईयूएस) की शुरूआत की गयी थी। कार्यान्वयन प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के लिए स्वतंत्र मूल्यांकन के आधार पर फरवरी, 2009 में इस योजना को पुन: तैयार किया गया था। जुलाई, 2013 में आईआईयूएस के संशोधित संस्करण अर्थात ‘संशोधित औद्योगिक अवसंरचना उन्नयन योजना (एमआईआईयूएस)’ को अधिसूचित किया गया था। एमआईआईयूएस के तहत, मौजूदा औद्योगिक पार्कों/संपदाओं/क्षेत्रों में अवसंरचना का उन्नयन करने के लिए परियोजनाएं शुरू की गयी हैं। पिछड़े क्षेत्रों और पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ भी शुरू की गयी हैं। राज्य सरकार की राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) द्वारा परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जा रहा है। एमआईआईयूएस के तहत 50 करोड़ रुपए की अधिकतम सीमा के साथ परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक केंद्रीय अनुदान प्रदान किया जाता है जिसमें राज्य कार्यान्वयन एजेंसी का कम से कम 25 प्रतिशत योगदान हो और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के मामले में केंद्रीय अनुदान और एसआईए का न्यूनतम योगदान क्रमश: 80 प्रतिशत और 10 प्रतिशत तक होता है। इस योजना में दो स्तरीय अनुमोदन तंत्र को बनाए रखा गया।
वर्तमान में, केवल कार्यान्वयनाधीन परियेाजनाओं को पूरा करने के लिए सहायता दी जा रही है तथा इस योजना के तहत किसी नई परियोजना को स्वीकार नहीं किया जा रहा है।